Wednesday, May 26, 2021

बुद्ध का अंतिम संदेश

 

"अप्प दीपो भव:" बुद्ध धर्म का एक बड़ा ही सुंदर सूत्र है। बुद्ध जब मृत्यु-शैय्या पर लेटे थे तो उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि अब मैं शरीर त्याग करने वाला हूँ अगर तुमलोगो के मन में कोई प्रश्न हो तो पूछ लो। उनके कई शिष्यों ने उनसे अपने प्रश्नों का उत्तर लिया। 

बुद्ध का एक प्रिय शिष्य था आनंद, जो पिछले कई वर्षों से सदैव बुद्ध के साथ था। वो थोड़ी दूर जाके बैठ गया और रोने लगा। बुद्ध ने एक दूसरे शिष्य को भेज के आनंद को अपने पास बुलवाया और रोने का कारण पूछा।


आनंद ने कहा कि आप मुझे राह दिखाते है, मैं आपके दिखाए हुए मार्ग पे चलता हूँ। जब आप नहीं होंगे तो मुझे कौन मार्ग दिखाएगा! मैं किसके दिखाए हुए मार्ग पे चलुंगा!

बुद्ध ने कहा, अप्प दीपो भव: । अर्थात अपने दिये स्वयं बनो।

 

पूर्णिमा की उसी रात्रि को बुद्ध ने शरीर-त्याग कर दिया और निर्वाण को प्राप्त हुए। पूर्णिमा से बुद्ध के जीवन का गहरा रिश्ता रहा। उनका जन्म भी पूर्णिमा को हुआ था, आत्मज्ञान की प्राप्ति भी पूर्णिमा को हुई थी और महापरिनिर्वाण की प्राप्ति भी पूर्णिमा की रात को हुई। 

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